Vande Bharat Express: हादसे के बार फिर पटरी पर लौटी वंदे भारत एक्सप्रेस, आगे बरती जाएंगी ये सावधानियां
Vande Bharat Express
अहमदाबाद: Vande Bharat Express: मुंबई सेंट्रल से गांधीनगर तक जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस 6 अक्टूबर की सुबह 11:18 बजे वटवा-मणिनगर स्टेशन के पास भैंसों के झुंड से टकराने के बाद क्षतिग्रस्त हो गई थी. इस प्रीमियम ट्रेन के इंजन का अगला हिस्सा (नोज कोन कवर) टक्कर के कारण टूट गया था. हालांकि, हादसे के एक दिन बाद मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस रिपेयर होकर फिर से पटरी पर लौट आई है. इसके अगले भाग को मुंबई सेंट्रल रेलवे के कोचिंग केयर सेंटर में ठीक कर दिया गया है. रेलवे सीपीआरओ सुमित ठाकुर ने शुक्रवार को बताया कि ट्रेन का सिर्फ अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ, इसके किसी फंक्शनल पार्ट को नुकसान नहीं पहुंचा था.
रेलवे सीपीआरओ ने कहा कि ग्रामीणों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने मवेशियों को ट्रैक के पास न छोड़ें. उन्होंने आगे बताया कि पश्चिम रेलवे गांधीनगर-अहमदाबाद खंड पर ट्रेन की गति बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बाड़ लगाने का काम करेगा. आपको बता दें कि 3-4 भैंसों के अचानक रेलवे ट्रैक पर आने के कारण यह हादसा हुआ था. दुर्घटना के 8 मिनट के भीतर ट्रेन गांधीनगर के लिए रवाना हो गई थी और अपने तय समय पर पहुंची. मरम्मत के दौरान मुंबई सेंट्रल डिपो में ट्रेन में नया नोज कोन कवर लगाया गया और बिना किसी अतिरिक्त डाउनटाइम के इसे वापस सर्विस में डाल दिया गया था.
यह देश में तीसरी वंदे भारत ट्रेन है, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 सितंबर को हरी झंडी दिखाकर उद्घाटन किया था. इससे पहले नई दिल्ली-वाराणसी व नई दिल्ली-माता वैष्णो देवी कटरा के बीच दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित हो रही थीं. यह ट्रेन गांधीनगर से अहमदाबाद होते हुए मुंबई सेंट्रल तक जाती है, फिर इसी रूट से होकर गांधीनगर वापस आती है. रेलवे बोर्ड देशभर में 400 सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों को चलाने की तैयारी कर रहा है. पीएम मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले से ऐलान किया था कि साल 2023 तक देश में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित की जाएंगी.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते दिनों कहा था कि इस दिशा में काम तेजी से चल रहा है और तय समय पर हो जाएगा. वंदे भारत एक्सप्रेस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेन है, जिसमें जीपीएस आधारित इंफॉर्मेशन सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे, वैक्यूम बॉयो टॉयलेट, ऑटोमैटिक स्लाइडिंग दरवाजे और हर कोच में 4 आपातकालीन पुश बटन हैं. इन ट्रेनों का निर्माण भारतीय रेलवे की चेन्नई स्थित इंटीग्रेटेड कोच फैक्टरी में होता है. इसके रखरखाव के लिए निर्धारित रूट के टर्मिनस स्टेशनों पर विशेष व्यवस्था की गई है. रेलवे की योजना वर्तमान में चल रहीं शताब्दी ट्रेनों को वंदे भारत से बदलने की है.